सांस्कृतिक और आर्थिक पक्ष से जुड़ी है आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना: प्रो. त्रिपाठी

देहरादून : देवभूमि विचार मंच और स्वदेशी जागरण मंच की ओर से आत्मनिर्भर भारत, सशक्त भारत विषय पर राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है। उन्होंने बताया कि डेयरी क्षेत्र में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए सरकार 25 प्रतिशत सब्सिडी के साथ लोन और उन्नत किस्म की गाय भी दे रही है। जिसमें 4000 से ज्यादा लोगों ने आवेदन किया है।

बीस हजार युवाओं को स्वरोजगार

उन्होंने बताया कि मिल्क बूथ के लिए सरकार 2 लाख का ऋण 25 प्रतिशत सब्सिडी के साथ, डेयरी के लिए 4 रुपया प्रति लीटर प्रोत्साहन भी दे रहे हैं। उन्होंने राज्य के बीस हजार युवाओं को स्वरोजगार योजना के तहत मोटरसायकिल उपलब्ध करा कर पर्यटन क्षेत्र से जोड़ने की बात कही। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 5 से 25 लाख तक ऋण, स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं के विकास हेतु आर्थिक सहायता भी दी जा रही है। डॉ. रावत ने उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्रों के लिए जनजातीय विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केंद्र खोलने के लिए कुलपति जनजातीय विश्वविद्यालय से आग्रह किया।

डिजिटल सिग्नेचर अभियान

कार्यक्रम संयोजक डॉ. दीपक कुमार पांडेय ने विषय परिचय के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय सामान हमारा अभिमान के डिजिटल सिग्नेचर अभियान शुरू किया गया है। इसमें लोगों को जुड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वदेशी की धारा को मजबूत करते हुए आत्मनिर्भर और सशक्त भारत के निर्माण में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए सभी को आगे आकर काम करना चाहिए।

आत्मनिर्भर और सशक्त भारत

मुख्य वक्ता के प्रो. प्रकाश मणि त्रिपाठी, कुलपति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश ने कहा कि आत्मनिर्भर और सशक्त भारत की संकल्पना हमारे सांस्कृतिक और आर्थिक पक्ष से जुड़ी हुई है, जिसमें हमारी परंपरागत संस्थाएं और संरचनायें महत्वपूर्ण हैं। हमारे गांव, देवालय, शिक्षालय और चिकित्सालय इसके महत्वपूर्ण आयाम हैं। उन्होंने कहा कि, जैसे परंपरागत रूप में हमारे गांव में स्थानीय विशिष्टताओं के आधार पर योग्यता और हुनर का सम्मान था, वैसे ही उस योग्यता और हुनर के आधार पर उद्योगों को विकसित करने की आवश्यकता है।

वसुधैव कुटुम्बकम की भावना

उन्होंने ऐसे पूंजी प्रवाह की बात की जो वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से लोक कल्याण को बढ़ावा देती हो। इसके साथ ही इसे अवसर के रूप में लेने की बात कही जिसमें बेटियों (महिलाओं की) की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। क्योंकि ये केवल दो पीढ़ियों को ही नहीं जोड़ती हैं, बल्कि दो सभ्यताओं को जोड़ती हुई पुरातन और आधुनिकता को भी एक सूत्र में जोड़ती हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने अपने विकास के मॉडल नहीं बनाए, और उधार के विकास मॉडलों को अपनाया जो निरंतर फेल होते रहे। इस अवसर पर भगवती प्रसाद राघव और सुरेंद्र सिंह सहित कई गणमान्य लोग शामिल हुए। कार्यक्रम को गूगल मी और यूट्यूब पर लाइव प्रसारण किया गया। देश के विभिन्न राज्यों के लोग आॅनलाइन शामिल रहे। संचालन आयोजन सचिव डॉ. रवि शरण दीक्षित, और डॉ. चैतन्य भंडारी ने किया।

शेयर करें !
posted on : June 28, 2020 10:32 am
error: Content is protected !!